परिचय:
बच्चों के सबसे पहले गुरु माता पिता होते है वे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। उनका प्रेम निस्वार्थ होता हैं माता पिता हमें जीवन का सही राह दिखाते हैं, अच्छे संस्कार देते हैं और हर मुसीबत में साथ खड़े होते हैं।
आज के इस लेख में माता पिता के सम्मान में माता पिता पर सुविचार के बारे में पड़ेंगे जिससे आप माता पिता के किए गए उपकार के बारे में समझेंगे।
माता-पिता पर सुविचार:

1. माता-पिता का महत्व:
माता पिता के बिना हमारा जीवन अधूरा होता है जैसे दीपक बिना तेल के। माता पिता के दिए गए संस्कार और सुविचार ही जीवन में काम आते है। माता पिता हमारे जीवन की नींव होती हैं जिन पर हम अपने सपनो का महल खड़ा करते है। इसके अलावा माता पिता का प्यार और ममता दुनिया की सबसे अनमोल धन होता है जिसे कोई भी चोर नहीं चुरा सकता है। माता पिता पर सुविचार और उनका महत्व के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
2. माता-पिता के त्याग को न भूलें:
दोस्तो माता पिता के त्याग को कभी नहीं भूलना चाहिए उन्होंने अपनी नींद को भुलाकर आपको पाला है माता पिता का त्याग ऐसी अमूल्य निधि हैं जिसे शब्दों में नहीं कहा जा सकता माता-पिता ने अपने सपनो को त्याग कर हमें ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इसीलिए हमेशा अपने माता पिता को खुश रखे उनका ध्यान रखे।
3. माता-पिता के प्रति हमारा कर्तव्य :
माता पिता ने अपना कर्तव्य अच्छे से पूरा किया है अब हमारा भी माता पिता के प्रति कुछ कर्तव्य बनता है जैसे माता का आदर सम्मान करना, देखभाल करना, समय देना, आदि
- सम्मान: माता-पिता का आदर सम्मान करना हर बच्चे का पहला धर्म है।
- देखभाल: जैसे माता पिता ने हमें पाला हैं वैसे ही हमें भी उनका सहारा बनकर देखभाल करनी चाहिए।
- समय देना: हमें अपने माता पिता की बात सुननी चाहिए, उनके साथ समय बिताना सबसे बड़ा तोहफा है।
4. प्रेरणादायक सुविचार:
- माता-पिता वे पंख हैं जिन पर उड़कर बच्चा अपनी मंजिल तक पहुँचता है। उनके बिना, उड़ान अधूरी है।
- जिस घर में माता-पिता का आदर होता है, वहाँ देवताओं का निवास होता है।
- माता-पिता का प्यार वह बीज है जिससे बच्चे के जीवन का विशाल वृक्ष फलता-फूलता है।
- माता-पिता के त्याग को शब्दों में बाँध पाना उस सागर को एक मटके में भरने के समान है।
- जब जीवन में धूप तेज हो, तो माता-पिता की छाया ही सबसे शीतल आश्रय होती है।

5. प्राचीन ज्ञान और धार्मिक सुक्तियाँ :
कुछ प्राचीन धर्म ग्रंथों में माता पिता का स्थान देवताओं के समान स्थान दिया गया है
- मनु स्मृति: मनु स्मृति हो एक मनु ऋषि द्वारा लिखी गई हैं उसमें मातृ देवो भव, पितृ देवो भव। अर्थात माता देवता है , पिता देवता है।
- तुलसीदास जी: तुलसीदास जी ने भी लिखा है कि बिनु माता पिता नहिं दूसरो, कर सनेह कर सन्मान। अर्थात माता-पिता के सिवा कोई दूसरा प्रेम और सम्मान करने वाला नहीं है।
- महाभारत: महाभारत में भी कहा गया है, पिता स्वर्ग, पिता धर्म, पिता ही परमं तपः। अर्थात पिता स्वर्ग हैं, पिता धर्म हैं, पिता ही सबसे बड़ा तप हैं।
- गुरु ग्रंथ साहिब: सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ में माता पिता के बारे में लिखा गया है मात पिता की सेवा कर, तोते सोऊँ जग जीत। अर्थातमाता-पिता की सेवा करने से संसार जीत लिया जाता है।
6. माता के प्रति भावपूर्ण विचार :
- माँ का दिल बच्चे के लिए ऐसा कक्ष है जहाँ उसकी हर गलती भी माफ़ी की प्रतीक्षा में बैठी रहती है।
- माँ की ममता वह अमृत है जो जीवन की कड़वाहटों को भी मधुर बना देता है।
- माँ की एक चिंता भरी नज़र हजार शब्दों से ज्यादा कह जाती है।
- माँ वह प्रार्थना है जो हमेशा बिना बोले भगवान तक पहुँच जाती है।

7. पिता के प्रति सम्मान व्यक्त करते विचार :
- पिता वह साया है जो धूप में भी ठंडक देता है और तूफान में भी डिगने नहीं देता।
- पिता की चुप्पी में भी उतना प्यार छिपा होता है, जितना माँ की बातों में।
- पिता के कंधे बचपन की सबसे ऊँची और सुरक्षित पहाड़ी होते हैं।
- पिता कभी दिखावे का प्यार नहीं करते, उनका प्रेम उनके कर्मों में छिपा होता है।
निष्कर्ष :
माता-पिता ईश्वर का हमारे जीवन में भेजा गया सबसे अनमोल उपहार हैं। उनके बिना हमारा अस्तित्व अधूरा है। माता पिता का प्यार, त्याग और मार्गदर्शन बच्चों के लिए निस्वार्थ भरा होता है। माता पिता पर सुविचार केवल शब्द नहीं हैं बल्कि उस ऋण की याद दिलाने वाली पवित्र धारा हैं जिसे हम जीवनभर चुका नहीं सकते। आइए इन विचारों को केवल पढ़ें नहीं बल्कि अपने जीवन में उतारें। “माता पिता पर सुविचार” पढ़कर हमें यह एहसास होता है कि उनका आशीर्वाद ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा खजाना है। इसलिए, अपने माता-पिता का आदर करें, उन्हें प्यार दें और हमेशा उनके आशीर्वाद को सर माथे लगाकर आगे बढ़ें।