
बच्चों का मन एक रहस्य की तरह होता हैं जिसे पड़ जाना हर माता पिता के लिए चुनौती होती हैं कभी बच्चे हंसते खेलते हुए अपनी बात कह देते हैं कभी उनके मासूम से चेहरे पर चुप्पी छा जाती हैं क्योंकि बच्चे अपनी बात सीधे सीधे नहीं कह पाते हैं। अब हर माता पिता को चिंता रहती हैं कि हम अपने बच्चों के मन की बात कैसे जाने वह क्या सोच रहा हैं, क्या महसूस कर रहे हैं, किसी परेशानी में तो नहीं हैं।
आज के इस लेख में बच्चों की भावनाओं से बच्चों के मन की बात समझने के व्यावहारिक और आसान तरीकों के बारे में जानेंगे।
बच्चों के मन की बात जानना जरूरी क्यों है
बच्चे अपनी बात स्पष्ट रूप से नहीं कह पाते है वे अपनी बात को भावनाओं , विचारों से कहते है इसलिए बच्चों के मन की बात जानना उन्हें बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है।
- बच्चों के मन की बात पढ़ने से उनकी जरूरत पूरी होती है चाहे शारीरिक हो या भावनात्मक
- जब बच्चे की मन की पड़ लेते है तो समझ आता है बच्चे का व्यवहार कैसा है। जैसे उनका गुस्सा, चिड़चिड़ापन, उदासी क्यों है
- बच्चों को सबसे ज्यादा प्यार की जरूरत होती है उनसे प्यार से बात करे।
- बच्चों के मन की बात जानने से बच्चे को सही मार्ग दर्शन मिलता हैं। वे अपनी समस्याओं से खुद निपटने या बेहतर समझदार इन्सान बनने में मदद करता है।
बच्चों के मन की बात जानने से 05 अनोखे तरीके
1. अपने बच्चे के साथ कुछ समय बिताए
बच्चों के साथ कुछ समय बिताए बच्चों के मन की बात कैसे जाने यह बच्चों को समझने का बेहतरीन तरीका है बच्चों के साथ खेले, उनसे बात करे या उन्हें कहानी सुनाए। बच्चों की बात को ध्यान से सुने बच्चे कुछ भी बोल रहे हो उसे ध्यान से सुने उन्हें बीच में रोके नहीं जब आप अपने बच्चों के साथ समय बिताएंगे या उनकी बात को ध्यान समझने की कोशिश करेंगे तो धीरे धीरे आप खुद उनकी बात समझने लगेंगे। इसके अलावा बच्चों से सवाल करें
- Q1 आज तुमने क्या खाया था
- Q2 ये मोबाइल किसका है
- Q3 आज तुम कहां गए थे
2. शारीरिक हाव भाव को समझना
ज्यादातर बच्चे अपनी बात को शब्दों में नहीं कह पाते हैं उनके शारीरिक हाव भाव से बच्चों के मन की बात को समझा जा सकता हैं आखिर बच्चा कहना क्या चाहता है जैसे
चेहरे को देखे: बच्चे के चेहरे को देखे , चेहरा उदास है , भौंहें ऊपर चढ़ी है या आँखें नीची कर ली है।
शरीर की मुद्रा: सिकुड़कर बैठना, कंधे झुकाना, या उछल-कूद करना उनकी भावनाओं को दर्शाता है।
क्रियाकलाप: बच्चा अचानक शांत हो जाना, सामने जो दिखे हर चीज़ को फेंकना उनकी मन की स्थिति को दर्शाता हैं ।
नींद और भूख में बदलाव: अगर बच्चा अचानक कम या ज़्यादा खाने लगे या सोने का समय बदल जाए तो यह किसी अंदरूनी बेचैनी का संकेत हो सकता है।
3. बच्चों की पसंद और नापसंद जानें
बच्चों के मन की बात कैसे जाने इसके लिए बच्चों को समझने के लिए उनकी पसंद और नापसंद चीजों के बारे में जरूर जाने उन्हें क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है। इससे बच्चों की समझ और बढ़ेगी। इससे बच्चों को आसानी समझा जा सकता हैं।
4. खेल खेल में बच्चों को समझने की कोशिश करें
बच्चों को खेल खेल में समझना आसान होता हैं बच्चों को खिलौने या गेम्स, कहानी पसंद हो उसे करे फिर उन्हें सुने, वे क्या कह रहे हैं। बच्चे खेल खेल में जो चीजें बना रहे है वे उनके मन की स्थिति को बताता हैं कि बच्चे को इस चीज के बारे में पता है। बच्चों के मन की बात कैसे जाने इसके लिए आपको बच्चे के साथ खिलौनों से खेलना पड़ेगा।
5. कहानियों से जोड़ें
बच्चों को कहानी सुननाबहुत पसंद होता हैं यह उनके मनोरंजन के साथ विचारों और भावनाओं को समझने का एक बेहतरीन तरीका है। कहानियों के माध्यम से आप जान सकते हैं कि बच्चों कौन कौन-सा role अच्छा लगा, कौन-सा नहीं, और क्यों।
निष्कर्ष (Conclusion)
बच्चों को समझना एक चुनौती भरा वाला काम है यह कोई एक दिन का काम नहीं है। इसमें धैर्य और प्रेम की जरूरी होता है। जब आप धैर्य, समझदारी और सहानुभूति के साथ बच्चे को सुनते और समझते हैं तो वे आपके सामने अपने दिल की बातें खोलने लगते हैं। बच्चे फूल की तरह कोमल होते हैं उन्हें प्यार से सींचे वे खुद-ब-खुद खिल उठेंगे।